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पोंगल पर निबंध - Essay on Pongal in Hindi

Essay on Pongal in Hindi For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 - आज की इस पोस्ट में पोंगल पर निबंध "Pongal Par Nibandh" (Essay on Pongal in Hindi) को विस्तृत तरिके से लिखा गया है। Pongal Essay in Hindi 10 Lines : इसमें पोंगल की प्रस्तावना, पोंगल का इतिहास, पोंगल का महत्व, पोंगल क्यों मनाया जाता है आदि बिंदुओं को शामिल किया गया है। 

प्रस्तावना : पोंगल त्यौहार

पोंगल का अर्थ होता है परिपूर्ण। इस दिन लोगों के घरों में खुशियां सा जाती हैं और लोगों के घर धन से भरे होते हैं। पोंगल किसानों का उत्सव है। पोंगल त्यौहार मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। यह त्यौहार 4 दिनों तक चलता है। यह चार दिवसीय त्यौहार उन लोक देवी-देवताओं को समर्पित है जो कृषि से संबंधित है।
               पोंगल त्योहार के दिन भगवान सूर्य देव को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ही पोंगल कहा जाता है इसलिए ही इस त्यौहार का नाम पोंगल रखा गया है। पोंगल का त्यौहार मुख्य रूप से तमिलनाडु में फसलों की कटाई की खुशी में मनाया जाता है। यह त्यौहार जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। लोग अच्छी फसल के कारण इस त्योहार को मनाते हैं। 4 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में चार दिनों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। तमिलनाडु में सर्दियों में भी बारिश होती है। यह बारिश अनाज की फसल के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होती हैं। वर्षा के देवता को इंद्रदेव कहा जाता है इसलिए इस त्यौहार में भगवान इंद्र की पूजा की जाती है। खेती की फसल लगभग दिसंबर माह के अंत या जनवरी की शुरुआत तक तैयार हो जाती है। फिर कटाई के बाद लोग इस त्यौहार को खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं।

पोंगल का इतिहास

पोंगल मुख्य रूप से तमिलनाडु का एक प्राचीन त्योहार है। पोंगल त्योहार के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती हैं और उन्हें भोग अर्पित किया जाता है। भगवान को चढ़ाए जाने वाली प्रसाद को ही पोंगल का जाता है। इसी के कारण इस त्यौहार को पोंगल कहा जाता है। पोंगल को द्रविड़ फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का उल्लेख संस्कृत पुराणों में भी मिलता है। कुछ पौराणिक कथा पोंगल त्योहार से जुड़ी हुई है। पोंगल त्योहार से 2 कहानियां जुड़ी हुई है।
  • एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने एक बार स्वर्ग से अपने बेल को मनुष्यों को संदेश देने के लिए कहा भगवान शिव ने कहा कि उन्हें प्रतिदिन तेल से स्नान करना चाहिए, महीने में एक बार भोजन करना चाहिए लेकिन बसवा ने भगवान शिव की आज्ञा के विपरीत संदेश दिया। बसवा ने लोगों से कहा कि एक दिन तेल से स्नान करें और हर दिन भोजन करें। बसवा की इस गलती से भगवान शिव बहुत ही क्रोधित हुए और बसवा को शाप दे दिया। बसवा को कैलाश से पृथ्वी पर स्थाई रूप से रहने के लिए निष्कासित कर दिया गया।
  • दूसरी पुरानी कथा के अनुसार भगवान कृष्ण जब छोटे थे तब उन्होंने भगवान इंद्र को सबक सिखाने का फैसला किया था। क्योंकि वह देवताओं के राजा बन गए थे इसलिए उन्हें उस पर गर्व आ गया था। भगवान कृष्ण ने अपने गांव के लोगों से कहा कि वे इंद्र की पूजा ना करें। इसलिए भगवान इंद्र बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने लगातार तीन दिनों तक तूफान और बारिश के बादल भेजें। इस तूफान से द्वारका पूरी तरह से तबाह हो गया था। उस समय भगवान कृष्ण ने लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। उस समय भगवान इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ। तब उन्होंने भगवान कृष्ण की शक्ति को समझा। भगवान कृष्ण ने विश्वकर्मा से द्वारका को फिर से बचाने के लिए कहा और ग्वालों ने अपनी गायों के साथ से खेती की।

पोंगल कैसे मनाते हैं?

पोंगल का त्योहार 1 दिन नहीं बल्कि 4 दिनों तक चलता है। इन 4 दिनों का अपना अपना अलग-अलग महत्व होता है। यह हर हिंदू धर्म के साल भर के त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन किसानों द्वारा भगवान को फसल के लिए उपलब्ध करवाए गए उत्कृष्ट मौसम के लिए धन्यवाद किया जाता है।
       पोंगल तमिल भाषा से लिया गया है इसका अर्थ होता है - उबालना। यह त्योहार जनवरी से फरवरी के बीच में आयोजित किया जाता है। इस मौसम में विभिन्न प्रकार के अनाज उत्पादित होते हैं। यह त्यौहार रोशनी चक्र के साथ मानव जाति को ठीक से संतुष्ट करने की पेशकश करने का त्योहार है। परंपरागत रूप से इस महीने में बहुत सारे विवाह होते हैं। यह परंपरा उन लोगों के लिए कृषि के आयोजन से संबंधित होती है।
पोंगल के 4 दिन - पोंगल त्योहार चार दिवसीय त्योहार है। यह 4 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इनके अपने अलग-अलग महत्व होते हैं। पहला दिन भोगी पोंगल होता है, दूसरा दिन सूर्य पोंगल होता है, तीसरा दिन मुतु पोंगल होता है और चौथा दिन कानुम पोंगल होता है

उपसंहार : पोंगल महोत्सव पर निबंध

अंत में  कहा जा सकता है कि पोंगल काफी धूमधाम से मनाया जाता है। लोग काफी निष्ठा के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। इस त्यौहार में शरद भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। किसान लोग पशुओं के प्रति अपना प्रेम जाहिर करते हैं। यह पर्व एक नई शक्ति का संचार करता है। इस त्यौहार से प्रेम और मानवता की तस्वीरें देखने को मिलती है। पोंगल हमारी जाति की सुगंध है और यह हमारी परंपरा की पहचान है। 
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आज की इस पोस्ट में पोंगल पर निबंध "Pongal Par Nibandh" (Essay on Pongal in Hindi) को विस्तृत तरिके से लिखा गया है। Pongal Essay in Hindi 10 Lines : इसमें पोंगल की प्रस्तावना, पोंगल का इतिहास, पोंगल का महत्व, पोंगल क्यों मनाया जाता है आदि बिंदुओं को शामिल किया गया है। आप सभी को मेरी यह पोस्ट कैसी लगी आप मुझे कमेंट करके जरूर बताये।
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